Author name: Pankaj Raj

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ब्लिंकिट ने शुरू की 10 मिनट में एम्बुलेंस सेवा

आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं की दिशा में एक नई पहल करते हुए ब्लिंकिट ने 10 मिनट में एम्बुलेंस उपलब्ध कराने की सेवा शुरू की है। इस कदम का उद्देश्य शहरी क्षेत्रों में एम्बुलेंस की त्वरित उपलब्धता सुनिश्चित करना और जीवन बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना है। कंपनी ने इस सेवा का पहला चरण गुरुग्राम से शुरू किया है, जहां पांच एम्बुलेंस गाड़ियों का बेड़ा तैनात किया गया है। ब्लिंकिट के सीईओ अलबिंदर ढींडसा ने इस सेवा की घोषणा करते हुए कहा, “हम शहरों में तत्काल और भरोसेमंद एम्बुलेंस सेवाओं की समस्या को हल करने के लिए पहला कदम उठा रहे हैं। हमारा लक्ष्य है कि लोग किसी भी स्वास्थ्य आपातकाल के दौरान तेजी से सहायता प्राप्त कर सकें। जैसे-जैसे हम ज्यादा इलाकों में अपनी सेवा का विस्तार करेंगे, उपयोगकर्ताओं को हमारे ऐप पर बेसिक लाइफ सपोर्ट (BLS) एम्बुलेंस बुक करने का विकल्प मिलेगा।” यह पहल भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की दिशा में एक बड़ा बदलाव ला सकती है। अक्सर देखा गया है कि एम्बुलेंस समय पर नहीं पहुंच पाने की वजह से कई लोगों की जान चली जाती है। इस समस्या का समाधान करने के लिए ब्लिंकिट का यह कदम सराहनीय है। गुरुग्राम में इसे लागू करने के बाद, कंपनी का इरादा इसे अन्य प्रमुख शहरों में भी शुरू करने का है। स्वास्थ्य सेवा में एक नई क्रांति ब्लिंकिट की यह पहल देश में स्वास्थ्य सेवाओं को डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़ने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह सेवा न केवल आपातकालीन स्थिति में त्वरित सहायता सुनिश्चित करेगी, बल्कि स्वास्थ्य सेवा में तकनीक के महत्व को भी दर्शाएगी। हालांकि इस सेवा की सफलता और इसकी चुनौतियों पर नज़र रखना जरूरी होगा। ट्रैफिक की समस्या, प्रशिक्षित कर्मचारियों की उपलब्धता, और उच्च मांग के दौरान सेवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करना कुछ ऐसे पहलू हैं, जिन पर ध्यान दिया जाना चाहिए। भविष्य की संभावनाएं यदि यह मॉडल सफल होता है, तो यह भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की तस्वीर बदल सकता है। एम्बुलेंस सेवाओं को तेजी से बढ़ावा मिलने के साथ, लोग स्वास्थ्य आपातकालीन स्थिति में अधिक सुरक्षित महसूस करेंगे। ब्लिंकिट की इस नई पहल ने साबित कर दिया है कि तकनीक और नवाचार के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार किया जा सकता है। अब देखना होगा कि यह सेवा कितनी तेजी से अन्य शहरों में लागू होती है और आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में कितनी प्रभावी साबित होती है।

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रेलवे ट्रैक पर पबजी खेलते समय तीन किशोर ट्रेन की चपेट में मारे गए

बिहार के बेतिया जिले में एक हृदयविदारक घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया। तीन किशोर रेलवे ट्रैक पर पबजी खेलने में इतने मग्न थे कि उन्होंने अपने आसपास के खतरों को पूरी तरह अनदेखा कर दिया। उन्होंने इयरफोन लगा रखे थे, जिसकी वजह से वे ट्रेन की तेज़ आवाज़ सुनने में असमर्थ रहे। इस लापरवाही के कारण तेज़ रफ्तार ट्रेन की चपेट में आकर उनकी मौके पर ही मौत हो गई। यह हादसा न केवल किशोरों की असावधानी को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि डिजिटल गेम्स की बढ़ती लत युवाओं को कैसे वास्तविकता से दूर कर रही है। पबजी और अन्य ऑनलाइन गेम्स का आकर्षण इतना बढ़ गया है कि किशोर खेल के दौरान अपने आसपास के खतरों को पूरी तरह से भूल जाते हैं। यह घटना परिवार और समाज के लिए एक बड़ा झटका है। माता-पिता और शिक्षकों के लिए यह एक चेतावनी है कि वे बच्चों के गेमिंग व्यवहार पर नजर रखें। बच्चों को यह सिखाना बेहद जरूरी है कि तकनीक का उपयोग जिम्मेदारी से करें और सुरक्षा को प्राथमिकता दें। इसके अलावा, प्रशासन और रेलवे विभाग को भी ट्रैक पर सुरक्षा बढ़ाने के उपाय करने चाहिए। चेतावनी बोर्ड, जागरूकता अभियान और सुरक्षा निगरानी जैसी व्यवस्थाएं अनिवार्य हैं ताकि इस तरह के हादसों को रोका जा सके। यह घटना न केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी है, बल्कि समाज में डिजिटल गेम्स की लत के दुष्प्रभावों का गंभीर उदाहरण है। यदि इस दिशा में समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो ऐसे हादसे बार-बार हो सकते हैं। बच्चों और युवाओं को वास्तविकता और जिम्मेदारी का महत्व सिखाना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।

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