पटना हाईकोर्ट ने हाल ही में 30 वकीलों को सीनियर एडवोकेट के रूप में पदोन्नत किया है। इस निर्णय को 17 दिसंबर, 2024 को हाईकोर्ट की सभी जजों की पूर्ण पीठ ने सर्वसम्मति से मंजूरी दी थी। इसके बाद अब अधिसूचना जारी कर दी गई है। यह निर्णय इन वकीलों की कानूनी विशेषज्ञता, अनुभव और न्यायिक प्रक्रिया में उनके योगदान को मान्यता देने के उद्देश्य से लिया गया है।
सीनियर एडवोकेट का दर्जा वकीलों के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जाती है। इसे प्राप्त करने वाले वकील अदालत में अलग-अलग प्रकार की जिम्मेदारियों और विशेषाधिकारों का लाभ उठाते हैं। यह पद वकीलों की प्रतिष्ठा और उनके पेशेवर करियर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
सीनियर एडवोकेट बनने वाले वकीलों की सूची:
सीनियर एडवोकेट का दर्जा प्राप्त करने वालों में धर्मेश्वर मिश्रा, अंशुल, सैयद फिरोज राजा, सर्वेश कुमार सिंह, जितेंद्र प्रसाद सिंह, संतोष कुमार, अजय कुमार (उर्फ अजय), नम्रता मिश्रा, आलोक कुमार, प्रसून सिन्हा, सत्यवीर भारती, आलोक कुमार सिन्हा, शेखर सिंह, आनंद कुमार ओझा, राजीव कुमार सिंह, सयैद मस्लेह उद्दीन अशरफ, आलोक कुमार चौधरी, अर्चना सिन्हा, साजिद सलीम खान, प्रदीप कुमार, मनोज प्रियदर्शी, अभिनव श्रीवास्तव, विनोदानंद मिश्रा, राजू गिरि, गौरांग चटर्जी, राजेश कुमार सिंह, संजीव कुमार मिश्रा, डीवी पैथी, सुधांशु कुमार लाल और आशीष गिरि शामिल हैं।
पूर्ण पीठ का निर्णय:
पटना हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ ने सीनियर एडवोकेट के चयन के लिए उनके अनुभव, कार्यक्षमता और कानून के क्षेत्र में उनके योगदान को ध्यान में रखा। यह प्रक्रिया एक पारदर्शी प्रणाली के तहत की गई, जिसमें सभी जजों की सहमति महत्वपूर्ण रही।
सीनियर एडवोकेट का महत्व:
सीनियर एडवोकेट का दर्जा केवल उच्चतम स्तर के पेशेवर और कुशल वकीलों को दिया जाता है। इस पद पर आसीन वकील अदालत में किसी केस का सीधा प्रतिनिधित्व नहीं कर सकते, लेकिन उन्हें महत्वपूर्ण सलाहकार की भूमिका निभाने की जिम्मेदारी मिलती है। इसके साथ ही, उनका अनुभव और कानूनी ज्ञान न केवल उनके सहकर्मियों बल्कि कानून के छात्रों के लिए भी प्रेरणादायक होता है।