उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आज से विश्व प्रसिद्ध महाकुंभ मेले का शुभारंभ हो गया है। यह दिव्य और भव्य आयोजन 26 फरवरी तक चलेगा, जिसमें 40 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना है।
संगम नगरी प्रयागराज, जिसे तीर्थराज भी कहा जाता है, इस आयोजन के लिए पूरी तरह से तैयार है। पहले दिन से ही यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी जा रही है।
महाकुंभ मेले का आयोजन हिंदू धर्म में आस्था और संस्कृति का प्रतीक है। गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पवित्र संगम पर स्नान को पापों से मुक्ति और मोक्ष प्राप्ति का माध्यम माना जाता है। कुंभ में हर 12 वर्षों में एक बार श्रद्धालु देश-विदेश से आते हैं। इस बार मेले को और भी खास बनाने के लिए प्रयागराज प्रशासन ने व्यापक तैयारियां की हैं।
विशेष आकर्षण: शाही स्नान
महाकुंभ के दौरान शाही स्नान के दिन सबसे अधिक भीड़ देखने को मिलती है। इस बार मुख्य शाही स्नान 14 जनवरी (मकर संक्रांति), 17 जनवरी (पौष पूर्णिमा), 25 जनवरी (मौनी अमावस्या), 9 फरवरी (बसंत पंचमी), 17 फरवरी (माघी पूर्णिमा), और 26 फरवरी (महाशिवरात्रि) को होंगे। इन दिनों अखाड़ों के साधु-संत और नागा साधु पारंपरिक शोभायात्रा के साथ संगम पर स्नान करेंगे। श्रद्धालु इन भव्य आयोजनों को देखने के लिए उत्सुक रहते हैं।
सुविधाओं और सुरक्षा के इंतजाम
श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए प्रशासन ने व्यापक इंतजाम किए हैं। मेले में 500 से अधिक स्थायी और अस्थायी स्वास्थ्य शिविर लगाए गए हैं। 24/7 एंबुलेंस सेवा और मेडिकल स्टाफ की तैनाती की गई है। सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरों, ड्रोन और हजारों सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की गई है। इसके अलावा, गंगा सफाई अभियान और जल शुद्धता को बनाए रखने के विशेष प्रयास किए जा रहे हैं।
महाकुंभ का आर्थिक और सांस्कृतिक महत्व
महाकुंभ का न केवल धार्मिक बल्कि आर्थिक और सांस्कृतिक महत्व भी है। इस आयोजन से स्थानीय व्यापारियों, होटल व्यवसायियों और पर्यटन क्षेत्र को बड़ा प्रोत्साहन मिलता है। विदेशी पर्यटक भारतीय संस्कृति को करीब से जानने और अनुभव करने के लिए बड़ी संख्या में यहां आते हैं।
महाकुंभ मेले का यह आयोजन आस्था, परंपरा और भारतीय संस्कृति का अद्भुत संगम है। श्रद्धालु इसमें भाग लेकर जीवन को धन्य मानते हैं।